Thursday, March 29, 2007

नाम

किस किस ने मुझे बदनाम किया
हर किसी ने एक नया नाम दिया


** रचना सागर **

10 comments:

Anonymous said...

जो लिखा है वह भी अच्छा है पर ..
थोडा सा शब्दों का फ़ेर कर के देखें :-
जैसे ;

हर किसी ने मुझे बदनाम किया
हर किसी ने नया एक नाम दिया

this is balanced.

Anonymous said...

behut sunder likha hai...... itena teekha kabhi kabhi perne ko milta hia

आलोक कुमार said...

दो पन्क्तियां ही केवल,इसका राज क्या है?

अभिन्न said...

बदला है लम्हा लम्हा मेरा नाम लोगों ने।
साजिस रची ये मिलके तमाम लोगों ने ।
आँख में पानी कहा पलक पे मोती,
गिरा रुखसार पे, आंसू दिया नाम लोगों ने ।
दर्दे दिल की दवा को मस्ती कहा जाम कहा,
कहके शराब कर दिया बदनाम लोगों ने।
बरस के नालों में गिरा , नाले मिले नदी में
पड़े हज़रत के कदम तो किया सजदा -सलाम लोगो ने ।
शर्म को पानी पानी, बरफ बेशर्मी को कहा ,
शबनम कहा सवेरे,धुंध कहा शाम लोगों ने ।
........chand roz pehle ye ghazal likhi thi .... aaj aapki rachna dekhte hi dil kiya aapko dikhun..dekhiye na kitni samrupta hai iske subject matter me...aapne vahi baat dop panktiyon me keh dali hai..good effort

Unknown said...

Very good......

makrand said...

किस किस ने मुझे बदनाम किया
हर किसी ने एक नया नाम दिया

regards

ss said...

किसी ने एक नाम दिया फ़िर दुसरे ने उस नाम को बदनाम कर नया नाम दिया, और यह सिलसिला चलता रहा|

निर्मला कपिला said...

pehli baar aapka blog dekha bahut hi sunder abhivyakti hai aapki bdhaai

Amit Kumar Yadav said...

महिला दिवस पर युवा ब्लॉग पर प्रकाशित आलेख पढें और अपनी राय दें- "२१वी सदी में स्त्री समाज के बदलते सरोकार" ! महिला दिवस की शुभकामनाओं सहित...... !!

admin said...

अच्‍छे भाव हैं, प्रभावित करता है।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }