Friday, December 08, 2006

अधुरी

मेरी खुशी अधुरी है आपके बगैर
हर मंजिल अधुरी है आपके बगैर

** रचना सागर **

3 comments:

योगेश समदर्शी said...

अभीषेक जी रचनाएं वास्तव में उत्तम हैं.

रचना जी कि इस रचना धर्मिता को और हवा देने कि जरूरत है ताकि दो लाईनों के इन मुखडों को अंतरे भी मिल सकें.उत्तम सृजन के लिये मेरी बधाई स्वीकार करें.

Mohinder56 said...

रचना जी गहरी सोच लिये हुयी हैं आप की दो दो लाईन...इन्हे और विस्तार दीजिये... लिखते रहिये..

Anonymous said...

ये अच्छा लिखा है ।